क्या जातिगत आरछण बंद होना चाहिए ? लेकिन क्या हमारा समाज जाती व्यवस्ता यानी ब्राह्मण , छत्रिया या कोई भी शूद्र जाती के भेद भाव को छोड़ने के लिए तैयार है ? जाती गत भेदभाव के वजह से हजारो हिन्दू परिवार दूसरे धर्मो को मानने के लिए मजबूर हो गए ! क्या ये हिन्दू धर्म के लिए ठीक है ? जहाँ इस्लाम और क्रिश्चियनिटी के अनुनायी बढ़ते जा रहे हैं वहीँ हिन्दुओ की संख्या लगातार घटती जा रही है ! क्या ये चिंता का विषय नहीं है ? छोटी जाति के लोगों का मंदिर में प्रवेश निषेद ये कैसी मानसिकता है ?
कभी आप ने आत्म मंथन किया है कि ये छोटी जाति वाले ज्यादातर गरीब क्यों होते है ? इनकी जनसख्या पूर्व काल से ही क्योँ गरीब है ? हम हिन्दू , भगवान् श्री कृष्ण की पूजा करते हैं जो यादवो के वंसज माने जाते हैं ! भगवान् राम भी छत्रिय जाती के माने जाते हैं ! पूर्व काल में भी ब्राह्मण तो पूज्य था ही लेकिन शूद्र तिरस्कृत नहीं था ! जब हम भगवान् की पूजा करने में भगवान् की जाति नहीं देखते तो दैनिक जीवन में इसका क्या महत्व रह जाता है ? क्यों न जाति व्यवस्था को समाज से समाप्त कर दिया जाय ! इसके लिए उच्च जाति को शूद्र या अन्य किसी भी जाति से विवाह करने पर समाज को हिम्मत करना होगा !
अमेरिका , जापान और इंग्लॅण्ड में भी कोई जाती व्यवस्था नहीं है ! इसी लिए पूरा देश विकाश करता है ! हमें अपने सोच को बदलना होगा तब ही हम किसी अन्य देश से तुलना करने के लायक हो सकते हैं !
मान लीजिये आपके दो जुड़वाँ बच्चे हैं ! आप दोनों बच्चो को बेहद लाड प्यार से पाल रहे हैं ! एक दिन जब आप ट्रैन से कहीं जा रहे थे तभी आप एक बच्चा कहीं लापता हो जाता है ! आप उसे बहुत खोजते हैं लकिन लाख कोशिशों के बाद भी वह नहीं मिलता ! कुछ महीनो और सालों के प्रयत्न से आप हार कर बैठ जाते हैं ! इसी दौरान आप अपने पहले बच्चे को खूब लाड प्यार से पालते और देख रेख करते हैं तथा अच्छी सिक्छा प्रदान करते हैं !
एक दिन लगभग सात साल बाद आपको अपना खोया हुआ बेटा वापस मिल जाता है ! बच्चे के हालत को देख कर आपका कलेजा मुँह को आ जाता है ! आपका दूसरा बच्चा बेहद गरीबी के हालत में इन सात सालों में सिर्फ रोटी के लिए दुनिया में जद्दो – जहद करता रहा ! आप समझ सकते हैं कि ये बच्चा अपने भाई से किसी भी मामले में बराबरी नहीं कर सकता ! इसने अपने जीवन के बहुमूल्य समय मात्रा रोटी के लिए बिता दिए !
क्योंकि आप का मासिक इनकम सिर्फ इतना ही है जिसमे सिर्फ एक ही बच्चे की परवरिश और पढाई – लिखाई आसानी से कर सकते हैं ! ऐसी स्तिथि में पहले बच्चे के खर्चों में
कटौती लाज़मी हो जाती है क्यों की आप चाहते हैं की आप का दूसरा बेटा भी जीवन में कुछ बन जाये और अपने पैरों पे खड़ा हो पाए ! शायद हर माँ – बाप ये ही करेंगे !
क्या आपके दूसरे बच्चे का हक़ नहीं बनता की आप की तरह सामान्य जीवन बिताये ?
ऐसे में सात सालों के बाद एक माता पिता का क्या कर्तव्य बनता है ?
क्या माता पिता को दूसरे बच्चे को उसके पूर्ववत अवस्था में छोड़ देनी चाहिए ताकि वो अपना बाकि का भी जीवन रोटी की लड़ाई में बिताता रहे ?
क्या दूसरे बच्चे को पहले की अपेक्छा ज्यादा देख रेख की जरुरत है कि वो स्वयं ही पहले बचे की बराबरी करने की छमता रखता है !
हमारे समाज के स्तिथि भी उसी प्रकार है जिसमे सरकार हमारे माता – पिता के समान है , पहला बच्चा जनरल क्लास है और दूसरा बच्चा रिजर्वेशन की केटेगरी में आता है ! क्या दूसरे बच्चे को रिजर्वेशन देना गलत है ताकि वो भी सामान्य जीवन जी सके ?
आप कहेंगे की सभी जनरल क्लास के लोग धनी नहीं है ! आप बिलकुल सही है जनरल क्लास के ऐसे लोगों को भी ऊपर उठाने के लिए सरकार की ओर से सहायता का प्रावधान होना चाहिए और रिजर्व्ड क्लास के लोगो को भी क्रीमी के कंडीशन पे रिजर्वेशन नहीं मिलना चाइये !
हमारा देश तभी स्वच्छ एवम प्रगतिशील होगा जब इसका हर एक वर्ग रोटी के ऊपर सोच पायेगा ! बिना सच्चाई जाने अपने या अपनों के स्वार्थ के लिए किसी भी सिस्टम को गलत घोसित करना गलत है चाहे वो रिजर्वेशन ही क्यों न हो ! अनेको सर्वे में पाया गया है की भारत की जनसंख्या का एक बहुत बड़े तपके को अभी भी रिजर्वेशन के जरिये ही मुख्य धारा में ले आया जा सकता है !